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NEP.. बहुत अलग है देश की नई शिक्षा नीति, जानिये क्या है इसमें खास

RNE Special Desk

National Curriculum Framework (NCF) और National Education Policy के बारे में वह सब कुछ जो आपको जाननया चाहिये (भाग-1)

क्या होता है एनसीएफः

भारत द्वारा 2015 में अपनाए गए सतत विकास एजेंडा 2030 के लक्ष्य 4 (SGD-4) में परिलक्षित वैश्विक शिक्षा विकास एजेंडा के अनुसार विश्व में 2030 तक ‘’सभी के लिए समावेशी और समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चत करने और जीवन-पर्यंत शिक्षा के अवसरों को बढावा दिए जानेे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई, 2020 को तीसरी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) घोषित की गई थी। इस नीति को शैक्षणिक वर्ष 2023-2024 में लागू किया जाना था।

2020 में घोषित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति अपनी पिछली नीति से बहुत अलग है। शिक्षा चूंकि संविधान की समवर्ती सूची का विषय है। अतः यह राज्यों द्वारा लागू की जानी है। सभी राज्य इसे इसकी भावना के अनुरूप लागू करें। नई नीति को लागू करने के लिए शिक्षा मंत्रालय एवं एनसीईआरटी नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा तैयार की गई।

दरअस्ल राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा( नेशनल क्यूरीक्यूलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) को इस प्रकार समझ सकते है कि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का ही एक घटक है जो इस नीति उद्देश्यों, सिद्धांतों और दृष्टिकोण को शिक्षा में लागू करने की सम्पूर्ण स्थिति स्पष्ट करते हुए इस हेतु किये जाने वाले कार्याें और योजनाओं का एक खाका प्रस्तुत करता है।

कैसे तैयार की गई राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखाः

https://ncf.ncert.gov.in/ में अंकितानुसार राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अनुसार, निम्नलिखित चार एन.सी.एफ. विकसित किए जाएंगे-

1. प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCFECCE)
2. स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCFSE)
3. शिक्षक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCFTE)
4. राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा प्रौढ़ शिक्षा के लिए (NCFAE)

इस संबंध में शिक्षा मंत्रालय (MOE) और (NCERT) द्वारा संयुक्त रूप से एक व्यापक रणनीति तैयार की गई है। इस रणनीति के अनुसार, राज्य स्तर पर- सभी राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सबसे पहले ई.सी.सी.ई. शिक्षक शिक्षा और प्रौढ़ शिक्षा सहित एनईपी, 2020 के अनुसार 25 क्षेत्रों/विषयवस्तु में राज्य अवधान समूहों द्वारा स्थिति प्रपत्रों के जिला स्तरीय परामर्श, मोबाइल ऐप सर्वेक्षण और विकास की प्रक्रिया से गुजरते हुए अपने राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एस.सी.एफ.) तैयार करेंगे। ये एससीएफ मसौदा एनसीएफ के विकास के लिए योगदान देंगे। एमओई के अंतर्गत काम कर रहे राज्य/संघ राज्य क्षेत्र और स्वायत्त संगठन, सभी एनसीएफ को योगदान प्रदान करने के लिए इस प्रक्रिया का प्रयास करेंगे। पूरी प्रक्रिया के दौरान एनईपी, 2020 की सिफारिशों को ध्यान में रखा जाएगा।

राष्ट्रीय स्तर पर, एनसीईआरटी MyGov पोर्टल पर एक सर्वेक्षण करेगा और पाठ्यचर्या कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दों पर विभिन्न मत रखने वाले हितधारकों से प्रतिक्रिया प्राप्त करेगा। एनसीईआरटी जमीनी स्तर से प्रतिक्रिया एकत्र करने के लिए प्रत्येक राज्य/ संघ राज्य क्षेत्र में 2-3 जिला स्तरीय परामर्श भी आयोजित करेगा। MyGov पोर्टल पर जिला स्तरीय परामर्श, राज्यों और राष्ट्रीय स्तर के सर्वेक्षण से प्राप्त सामग्री का विश्लेषण करते हुए, राष्ट्रीय अवधान समूह चिन्हित क्षेत्रों में 25 स्थिति प्रपत्र तैयार करेंगे। इन स्थिति प्रपत्रों और ड्राफ्ट एससीएफ से जानकारी लेते हुए चार एनसीएफ तैयार किए जाएंगे। पूरी प्रक्रिया कागज रहित दृष्टिकोण का उपयोग करके की जाएगी जिसमें विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए परिकल्पित तकनीकी मंच का उपयोग करके सभी स्तरों पर परामर्श और रिपोर्ट तैयार करना शामिल है। इसे देखते हुए एन.सी.ई.आर.टी और एन.आई.सी., एम.ओ.ई द्वारा एक व्यापक तकनीकी मंच विकसित किया जाएगा। इस मंच पर सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को परामर्श, सर्वेक्षण, स्थिति प्रपत्र आदि के लिए ई-टेम्पलेट उपलब्ध कराए जाएंगे और केंद्रीय स्तर पर मनोनीत नोडल अधिकारियों द्वारा अविरल समर्थन किया जाएगा। इस प्रक्रिया के सुचारू और शीघ्रता से कार्य के लिए राज्य अपने नोडल अधिकारियों को भी मनोनीत करेंगे। एन.सी.एफ. के मसौदे को संविधान की आठवीं अनुसूची में दी गई 22 भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा और राज्योंध्संघ राज्य क्षेत्रों के साथ उनकी टिप्पणियों के लिए साझा किया जाएगा। उनकी टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए, एन.सी.एफ. को अंतिम रूप दिया जाएगा और अनुमोदन प्रक्रियाओं के लिए शिक्षा मंत्रालय के समक्ष रखा जाएगा। अनुमोदन के बाद, एस.सी.एफ. के मसौदे को संशोधित करने और एन.सी.एफ. के कार्यान्वयन के लिए दस्तावेजों को राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों प्रदेशों में प्रसारित किया जाएगा।

उक्तानुसार अभी तक प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एन.सी.एफ.ई.सी.सी.ई.) व स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एन.सी.एफ.एस.ई.) जारी कर दी गई है। शिक्षा की बात के इस अंक मे हम प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एन.सी.एफ.ई.सी.सी.ई.) को समझने का प्रयास करेंगे।

0 से 08 वर्ष तक के बच्चों के लिए फोकस : एनसीएफएफएस

इस एनसीएफ में प्रारम्भिक बाल्यवस्था देखभाल और शिक्षा हेतु बच्चें की उम्र को जन्म से आठ वर्ष तक परिभाषित किया गया है। यह माना गया है कि जीवन के पहले आठ साल बहुत ही अहम होते हैं। इन शुरुआती वर्षों में ही उसके जीवन के सभी आयामों यथा-शारीरिक, संज्ञानात्मक, सामाजिक और भावनात्मक विकास की नींव पड़नी प्रारम्भ हो जाती है। इसके माध्यम से इन वर्षों में आवश्यक देखभाल और सीखने के सिद्धान्तों के साथ साथ मूल्यांकन और लर्निंग आउटकम को भी विशलेषित किया गया है। यह एनसीएफ सम्पूर्ण भारत में इस उम्र के बच्चों की पाठ्यचर्या किस तरह की होनी चाहिए। उसका शिक्षण शास्त्र कैसा होना चाहिए को बताता है।

क्या हैं इसकी विशेषताएंः

प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा के क्षेत्र में हुए नवीनतम शोध के आधार पर, पाठ्यचर्या की यह रूपरेखा है।

यह पाठ्यचर्या शिक्षको, प्रशिक्षकों, संस्था प्रधानों, और शिक्षा तंत्र के प्रशासनिक अधिकारियों, बोर्ड और एससीआरटी में पाठ्यचर्या/पाठ्यक्रम / पाठ्यपुस्तक बनाने वाले लोगों को व्यापक दिशा-निर्देश देती है ताकि एनईपी 2020 के लक्ष्यों को धरातल स्तर पर प्राप्त किया जा सके।

पाठ्यचर्या की रूपरेखा आम आदमी को स्कूल की प्रति नई दृष्टि व शिक्षा कैसी होनी चाहिए को बताती है। ?

यह भारतीय शिक्षा व्यवस्था में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखने वाले अभिभावक, समुदाय के सदस्य और भारतीय नागरिक की भूमिकाओं को बताती है।

यह पाठ्चर्या मुख्य मानती है कि शिक्षा के सभी व्यवहार के केन्द्र में शिक्षक है। जिस प्रकार का बदलाव हम चाहते हैं, उसका पथप्रदर्शक शिक्षक ही है। इस तरह से पाठ्यक्रम और विषयवस्तु के निर्माताओं, पाठ्यपुस्तक लेखकों, प्रशासकों और अन्य सभी को एक शिक्षक के परिप्रेक्ष्य को समझते हुए कार्य करने की आवश्यकता है।

यह पाठ्यचर्या की रूपरेखा का एनईपी 2020 के उद्देश्यों अन्तर्निहित दर्शन और सिद्धांतों को स्पष्ट कर इन्हें व्यवहार में भी लाने के उपाय भी बताता है।

इस पाठ्यचर्या में वास्तविक जीवन के उदाहरणों के साथ शामिल किया गया है। ताकि शिक्षक या पाठ्यचर्या निर्माता इसको आसानी से समझ सकें।

फाउंडेशनल स्टेज को ऐसे समझेः

इस एनसीएफ में फाउंडेशनल स्टेज को दो भागों में विभक्त किया है।

0 से 3 वर्ष:– इस उम्र अधिकांश बच्चे घर परिवार के माहौल में बड़े होते हैं। 3 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए, उपयुक्त बाल्यवस्था शिक्षा और देखभाल मेें न केवल स्वाथ्य, सुरक्षा और पोषण शामिल है बल्कि इसमेें संज्ञानात्मक और भावनात्मक देखभाल तथा शिशु के साथ बातचीत, खेलना, घूमना, संगीत और आवाजें सुनना और अन्य इन्द्रियों खासकर देखना सुनना को विकसित करने के लिए उपयुक्त अनुभव करवाया शामिल है। ताकि तीन वर्ष पूर्ण होने तक वह वह अपने शारीरिक, गत्यात्मक, सामाजिक-भावनात्मक, संज्ञानात्मक, संप्रेषण, शुरूआती भाषा, आवश्यक साक्षरता और संख्या ज्ञान का विकास कर सके। इस एनसीएफ में उल्लेखित है कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय इस हेतु आवश्यक दिशानिर्देश या सुझावात्मक प्रक्रियाएं विकसित कर प्रसारित करेगा।

3 से 8 वर्ष:- इन वर्षों में वह घर से निकलकर संस्थाओं में प्रवेश लेगा। 3 से 6 वर्ष तक आंगनवाड़ी, बालवाटिका या प्री-स्कूल में प्रारम्भिक बाल्यवस्था शिक्षा के कार्यक्रम संचालित होंगे तथा 6 से 8 वर्ष में विद्यालय में कक्षा 1 व 2 में उक्त कार्यक्रम संचालित होंगे। इन वर्षों में स्वास्थ्य, सुरक्षा और पोषण के साथ-साथ अच्छी आदतों के विकास एवं बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सम्मिलित किया गया है। इस हेतु खेल आधारित गतिविधियों से किया जाएगा।

पंचकोष की अवधारणा :

यह एनसीएफ शिक्षा में भारतीय विजन को बताते हुए मानवीय अनुभव और समझ में शरीर और मन के जटिल रिश्ते की ‘पंचकोष’ की अवधारणा को बताता है। इसके पांच भाग हैं। शारीरिक विकास, प्राणिक विकास, भावनात्मक और मानसिक विकास, बौद्धिक विकास और आध्यात्मिक विकास हैं। एनसीएफ के मुताबिक पंचकोष मानवीय अनुभव, समझ और शरीर-मन के महत्व की एक प्राचीन व्याख्या है। मानव विकास के लिए यह समग्र शिक्षा की दिशा में स्पष्ट मार्ग और दिशा देता है।

क्या है इस पाठ्यचर्या के लक्ष्यः

इस पाठ्यचर्या का लक्ष्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भावनाओं के अनुसार शिक्षणशास्त्र सहित पाठ्यचर्या में बदलाव लाना के साथ- साथ शैक्षिक प्रक्रियाओं में बदलाव करने की तथा स्कूल का वातावरण, और संस्कृति में किए जाने वाले बदलाव लक्षित है। इस प्रकार पाठ्यचर्या व समग्र वातावरण बदलाव कर विद्यार्थियों के सीखने के समग्र अनुभवों को बदलने में सक्षम बनाना है।

क्या हैं इस पाठ्यचर्या के उद्देश्य:

इस पाठ्यचर्या के उद्देश्य बच्चों का शारीरिक, सामाजिक भावनात्मक और नैतिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, भाषा और साक्षरता विकास एवं सौन्दर्य बोध और सांस्कृतिक विकास के उद्देष्यों को प्राप्त करने के लिए क्यूरीक्यूलर गोल निर्धारित किये गये हैं। इन लक्ष्यों के आधार पर पाठ्यक्रम तैयार होना चाहिए।

उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए निर्धारित दक्षताएं व सीखने के प्रतिफलः

उपर्युक्त उद्देश्यों के लिए निर्धारित क्यूरीक्यूलर गोल को प्राप्त करने के लिए विकसित होने वाले पाठ्यक्रम हेतु दक्षताएं भी दिशा-निर्देशों के रूप में पूर्ण विस्तार से दी गई हैं। जैसे शारीरिक विकास के उद्देश्य क्यूरीक्यूलर गोल ‘‘बच्चे ऐसी आदत जो उन्हें स्वस्थ और सुरक्षित रखती है’’ के लिए पौष्टिक भोजन के प्रति समझ व रुचि, स्वच्छता का बुनियादी व्यवहार इत्यादि दक्षताओं के सुझाव दिये गये हैं। इसके साथ अलग से दक्षताओं का विस्तार किस सीखने के प्रतिफलन में होगा इसके सुझाव भी दिये गये हैं।

शिक्षण की भाषा पर एनसीएफः

यह एनसीएफ ने सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में आठ साल की उम्र तक के बच्चों के लिए शिक्षा के प्राथमिक माध्यम के रूप में मातृभाषा की सिफारिश करता और यह तर्क देता है कि एक नई भाषा शुरुआती वर्षों में सीखने की प्रक्रिया में बाधा डाल सकती है।

और क्या क्या है एन.सी.एफ.ई.सी.सी.ई मेंः

उपर्युक्त के अतिरिक्त इस विस्तृत पाठ्यचर्या की रूपरेखा में भाषा शिक्षा और साक्षरता के प्रति दृष्टिकोण, इस अवस्था हेतु प्रयोग में आने वाले षिक्षण शास्त्र खेलों के जरिए सीखने का विस्तृत वर्णन पाठ्यक्रम बनाने हेतु विषय वस्तु चयन, संगठन और संदर्भीकरण, आकलन, समय नियोजन के अन्तर्गत किस समय क्या किया जाना है के सुझाव दिये गये हैं। इत्यादि को विस्तृत रूप में रखा गया है।

कुल मिलाकर भारत में फाउंडेशनल स्टेज के लिए पहली बार जारी राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा फाउंडेशनल स्टेज-2022 बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा की नींव रखता है और एक बच्चे के आजीवन सीखने की यात्रा का आधार तैयार करने हेतु महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यदि धरातल पर इस दस्तावेज के अनुरूप कार्य हुआ तो शिक्षा की दशा और दिशा बदल सकती है।

इसे पूर्ण रूप से जानने के लिए शिक्षा मंत्रालय अथवा एनसीइआरटी की वेबसाईट से डाउन लोड किया जा सकता है।



डा.प्रमोद चमोली के बारे में:

शिक्षण में नवाचार के कारण राजस्थान में अपनी खास पहचान रखने वाले डा.प्रमोद चमोली राजस्थान के माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में सहायक निदेशक पद पर कार्यरत रहे हैं। राजस्थान शिक्षा विभाग की प्राथमिक कक्षाओं में सतत शिक्षा कार्यक्रम के लिये स्तर ‘ए’ के पर्यावरण अध्ययन की पाठ्यपुस्तकों के लेखक समूह के सदस्य रहे हैं। विज्ञान, पत्रिका एवं जनसंचार में डिप्लोमा कर चुके डा.चमोली ने हिन्दी साहित्य व शिक्षा में स्नातकोत्तर होने के साथ ही हिन्दी साहित्य में पीएचडी कर चुके हैं।
डॉ. चमोली का बड़ा साहित्यिक योगदान भी है। ‘सेल्फियाएं हुए हैं सब’ व्यंग्य संग्रह और ‘चेतु की चेतना’ बालकथा संग्रह प्रकाशित हो चुके है। डायरी विधा पर “कुछ पढ़ते, कुछ लिखते” पुस्तक आ चुकी है। जवाहर कला केन्द्र की लघु नाट्य लेखन प्रतियोगिता में प्रथम रहे हैं। बीकानेर नगर विकास न्यास के मैथिलीशरण गुप्त साहित्य सम्मान कई पुरस्कार-सम्मान उन्हें मिले हैं। rudranewsexpress.in के आग्रह पर सप्ताह में एक दिन शिक्षा और शिक्षकों पर केंद्रित व्यावहारिक, अनुसंधानपरक और तथ्यात्मक आलेख लिखने की जिम्मेदारी उठाई है।


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